दल-बदल विरोधी याचिका पर निर्णय लेने का अधिकार स्पीकर के बजाय चुनाव आयोग को दें - सत्य पाल जैन
Anti-Defection Petition
चंडीगढ़ 19 नवम्बर, 2022. Anti-Defection Petition: चण्डीगढ़ के पूर्व सांसद, भारत सरकार के अपर महासालिसिटर एवं पंजाब विश्वविद्यालय(Panjab University) की सीनेट व सिंडीकेट के सबसे वरिष्ठ सदस्य श्री सत्य पाल जैन ने कहा है कि अब समय आ गया जब दल-बदल कानून में संशोधन करके दल-बदल विरोधी याचिकाओं(anti defection petitions) पर निर्णय करने की शक्ति विधानसभा के स्पीकरों से लेकर चुनाव आयोग आदि निष्पक्ष संस्थाओं को दी जानी चाहिये तथा दल-बदल विरोधी कानून(anti defection law) सांसदों और विधानसभा के साथ-साथ नगर निगम, नगर पालिका, जिला परिषद्, पंचायत समिति आदि संस्थाओं पर भी लागू होना चाहिये।
श्री जैन आज प्रातः भारतीय विद्यापीठ नई दिल्ली द्वारा दल-बदल विरोधी कानून पर आयोजित वेबीनार में मुख्य वक्ता के नाते बाल रहे थे।
श्री जैन ने कहा कि दल-बदल विरोधी कानून जो 1985 में बनाया गया था, दल-बदल रोकने में इसलिये पूरी तरह सफल नहीं हो पाया क्योंकि विधानसभाओं के स्पीकर ऐसी याचिकाओं पर अपनी व अपनी पार्टी के हित में निर्णय करते हैं न की संविधान या कानून के अनुसार। उन्होंने कहा कि लगभग सभी विधानसभा अध्यक्षों के फैसले कानून में स्पष्टता के बावजूद उसी पार्टी के पक्ष में आते हैं जिस पार्टी से स्पीकर संबधित है।
उन्होंने कहा कि कई बार तो विधानसभा अध्यक्ष अपनी पार्टी के हित के लिये 3-3, 4-4 साल तक इन याचिकाओं के निर्णय नहीं करते बाद में वही निर्णय होता तो जो उनकी पार्टी के पक्ष में हो।
श्री जैन ने कहा कि समय आ गया है जब दल-बदल विरोधी कानून विधानसभा एवं लोकसभा के साथ-साथ नगर निगम, नगर पालिका, जिला परिषद आदि पर भी लागू किया जाना चाहिये।
इस वेबिनार में भारतीय विद्यापीठ के सैंकड़ों छात्रों, शिक्षकों तथा शोधकर्ताओं ने भाग लिया बाद में श्री जैन ने लोगों के प्रश्नों के उत्तर भी दिये।
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